लेखनी प्रतियोगिता -25-Sep-2022 लड़की होती घर की लाठी
शीर्षक-लड़की होती घर की लाठी
लड़की होती घर की लाठी,
दो परिवार की होती साथी।
बाबुल की होती अमानत,
ससुराल की होती सम्मान।
लड़की नहीं होती कमजोर,
दो दो घर का उठाती बोझ।
लड़की पर क्यों उठाते बोल,
लड़की होती है अनमोल।
कितनी होते रिश्तेदारी,
बखूबी निभाती जिम्मेदारी।
मां बनकर लाड़ करती,
पत्नी बन कर जीवन साथी बनती।
कितने रिश्तों की डोर संभालती,
रिश्तों की कड़ी कहलाती।
सारा प्यार सब पर लुटाती,
सबकी दिलों की बन जाती हमराही ।
रिश्तों को रखती पिरोके,
दिल में रखती संजोके।
घर हो या बाहर,
बखूबी निभाती अपना काम।
लड़की नहीं होती अभिशाप,
लड़की होती है वरदान।
लड़की का ना करो गर्भपात,
लड़की का करो कन्यादान।
लेखिका
प्रियंका भूतड़ा
Pratikhya Priyadarshini
26-Sep-2022 11:42 PM
Bahut khoob 💐👍
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Haaya meer
26-Sep-2022 07:40 PM
Amazing
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आँचल सोनी 'हिया'
26-Sep-2022 07:06 PM
Bahut khoob 🙏🌺
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